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जुलाई, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मिथिला का संक्षिप्त परिचय / Mithila ka Parichya

मिथिला का संक्षिप्त परिचय  / Mithila  ka  Parichya  मिथिला अपने परम्पराओं  के लिये भारत और भारत के बाहर जानी जाती रही है। इस क्षेत्र की प्रमुख भाषा  मैथिली  है।  हिन्दू धार्मिक ग्रंथों में सबसे पहले इसका   स्पष्ट उल्लेख  वाल्मीकीय रामायण  में मिलता है।  आज हम मिथिला  के बारे संक्षिप्त में जानेंगे।   मिथिला के रत्न :- महाकवि विद्यापति जी  महाकवि विद्यापति जी की जन्मस्थली और कर्म स्थली भी मिथिला रही है।  इसके अलावा   मंडन, अयाची जैसे महान महात्माओं एवं  ऋषि- मुनियों की धरती भी मिथिला ही है।   श्री राम एवं जानकी जी मिथिला में  मिथिला के संस्कार एवं पर्व त्योहार विश्व में सब से अत्यधिक विधि-विधान से मनाये जाते हैं। मिथिला के त्यौहार अपने आप में ही खास होते है मिथिला अपने संस्कारो के लिए भी जानी जाती है  मिथिला  महाराजा जनक की नगरी एवं माता सीता की जन्म-स्थान भी  है |  मिथिला की नदियाँ :- बागमती नदी नेपाल में।   यहाँ कई  पावन नदियाँ   बहती है जो की हमारी पवित्र गंगा की सहायक नदियाँ   भी है।जैसे की बागमती, कोसी, कमला, गंडक,लक्ष्मण

भगवान् शिव कौन हैं ?, भगवान् शिव का स्वरुप कैसा है ? / Bhagwaan Shiv kaun hai ? Bhagwaan Shiv Ka Swaroop Kaisa hai?

  शिव की पूजा का महत्व, शिव कौन है ?, भगवान्   शिव को शम्भू क्यों कहा जाता है ? भगवान् शिव जब किसी जीव का  संहार करते हैं, तो वह  महाकाल बन जाते हैं, यही शिव महामृत्युंजय बनकर  उस प्राणी  का  रक्षा भी करते हैं, तो शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं, रूद्र बनकर महाविनाश लीला भी करते हैं, तो आशुतोष बनकर हर किसी की मनोरथ पूरी करते है और तो और  नीलकंठ बन कर विष पी जाते है ताकि सृष्टि बचीं रह, स्वयं शिव ही ब्रह्मा और विष्णु के रूप में एक हो  कर देवो के देव महादेव बन जाते हैं।  भगवान शिव को शम्भू क्यों कहा जाता है ? भगवान शिव को शंभू इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह स्वयं-भू है अर्थात उनके जन्म का कोई प्रमाण ही  नहीं है वे तो निर्जन्म है.  भगवान् शिव का निराकार स्वरुप  भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? भगवान शिव अनंत अविनाशी है, जिनका ना तो कोई आरंभ है और ना ही कोई अंत है, भगवान् शिव वह हैं जो काल के बंधन से मुक्त हैं ,जन्म और मृत्यु उनसे है ,आप खुद ही सोचिए जो खुद ही सृष्टि के संहारक हैं,भला उनका जन्म और मृत्यु कैसे हो सकता है जिनके द्वारा यह सारी सृष्टि बनाई गई

धर्म और विज्ञान / Dharm aur Vigyan

धर्म और विज्ञान में कौन प्रबल है ? धर्म  और विज्ञान में कौन प्रबल है, इस जवाब का उत्तर  देने से पहले हमे इन दोनों के बारे में गहराई से जानना होगा की धर्म क्या है और विज्ञान क्या है तभी हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकेंगे । धर्म क्या है?  अगर हम धर्म की बात करें तो यह एक ऐसी चीज है जो लोगों में सत्य अहिंसा सत मार्ग संस्कार आदि मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है, ये लोगो के लिए मनोबल बढ़ाने  का काम करती है लोगो का  आत्मविश्वास  बढ़ाने में सहायक है जिससे  की हर एक आदमी यह सोचता है की शायद कल उसकी किस्मत खुल जाएगी और ये बात उसको हिम्मत नहीं हारने देती है, और वो आत्महत्या जैसी चीज़ो से  भच जाता है क्यूंकि उसे लगता है की भगवान् कल उसके साथ कुछ अच्छा करेंगे और इसी भरोसे वो अपनी जिंदगी काट लेता है।  इसके अलावा हम धर्म के दूसरे पहलु की बात करे तो ये अन्धविश्वास को भी कुछ हद तक बढ़ावा भी देती हैं। जो हमे अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाये वही  धर्म है। विज्ञान क्या है ? अगर हम विज्ञान की बात करे तो  विज्ञान एक  ऐसी चीज है जो जो हमें अंधविश्वास जैसी चीजों से बचाती है क्या बिना विज्ञान के  आप

बाढ़ की विनाशलीला , और सरकार का उदासीन रवैया।

बाढ़ की विनाशलीला , और सरकार का उदासीन रवैया।   बाढ़ एक ऐसी विभीषिका है जो हर साल लाखो लोगो के लिए एक जंग का हालात पैदा कर देती है एक ऐसी    जंग जिसमे सिर्फ आप ही हारते हो कुदरत नहीं  ,  न जाने कितने बेघर हो जाते है और न जाने कितने    लापता   हो जाते है , ऐसा मंजर होता की हम और आप कल्पना  तक  नहीं कर सकते। ये   एक ऐसा हालात है की जिसमे   हमे   खुद  ही  लड़ना भी पड़ता  है और जीतना भी।  लड़ाई खुद को बचाने के लिए, अपने परिवार को बचने के लिए अपने डूबता हुए घर को बचाने के लिए , यह एक ऐसी जंग  है जिसमे न तो हथियार काम आएगा न ही आपका ज्ञान यह बस आपको अपने मौत को करीब से देखने का एक ऐसा मौका देती है जो की आप कभी नहीं चाहेंगे।  आखिर हर साल वही हालात आखिर ये हालात हम और आप कब तक देखेंगे। क्या कुछ नहीं किया जा सकता क्या पूरा नहीं तो थोड़ा बहुत भी ऐसे हालात कम नहीं किये जा सकते ?  लड़ना तो खुद ही पड़ेगा कब तक हम सरकारों के भरोसे बैठेंगे। सरकार वैसे भी बहुत काम करती है , सरकार के पास इतना पैसा नहीं होता   कि  व

हिन्दुओं के प्रमुख त्यौहार / FESTIVALS OF HINDUS

हिन्दुओं के  प्रमुख  त्यौहार / FAMOUS FESTIVALS OF HINDUS भारत त्योहारों का देश है ये कहना गलत नहीं होगा यहाँ पर त्योहारों का मतलब उमंग है खुशिया है जो आपस में बाटी जाती है आज हम आपको उनमे से कुछ त्योहारों के बारे में परिचय देंगे।  वैसे तो भारत में मुख्या रूप से दो तरह के त्यौहार मनाये जाते है जिसमे कुछ राष्ट्रीय त्यौहार होते है तो कुछ धार्मिक त्यौहार। आज  हम आपको उन त्योहारों के बारे में बताएंगे जो हिन्दू धर्म के मुख्य त्यौहार है तो चलिए जानते है कोण से त्यौहार कब और क्यों मनाये जाते है। १. दिवाली या दीपावली :- दिवाली भारत के सबसे ज्यादा मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक है, यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश के जीत का प्रतीक है  भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दिवाली को   सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि  सिख ,   बौद्ध   तथा   जैन धर्म   के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे   महावीर   के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं   तथा सिख समुदाय इसे   बन्दी छोड़ दिवस   के रूप में मनात