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धर्म और विज्ञान / Dharm aur Vigyan


धर्म और विज्ञान में कौन प्रबल है ?

धर्म  और विज्ञान में कौन प्रबल है, इस जवाब का उत्तर  देने से पहले हमे इन दोनों के बारे में गहराई से जानना होगा की धर्म क्या है और विज्ञान क्या है तभी हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकेंगे ।


धर्म क्या है?


 अगर हम धर्म की बात करें तो यह एक ऐसी चीज है जो लोगों में सत्य अहिंसा सत मार्ग संस्कार आदि मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है, ये लोगो के लिए मनोबल बढ़ाने  का काम करती है लोगो का  आत्मविश्वास  बढ़ाने में सहायक है जिससे  की हर एक आदमी यह सोचता है की शायद कल उसकी किस्मत खुल जाएगी और ये बात उसको हिम्मत नहीं हारने देती है, और वो आत्महत्या जैसी चीज़ो से  भच जाता है क्यूंकि उसे लगता है की भगवान् कल उसके साथ कुछ अच्छा करेंगे और इसी भरोसे वो अपनी जिंदगी काट लेता है।  इसके अलावा हम धर्म के दूसरे पहलु की बात करे तो ये अन्धविश्वास को भी कुछ हद तक बढ़ावा भी देती हैं।
जो हमे अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाये वही  धर्म है।



विज्ञान क्या है ?


अगर हम विज्ञान की बात करे तो  विज्ञान एक  ऐसी चीज है जो जो हमें अंधविश्वास जैसी चीजों से बचाती है क्या बिना विज्ञान के  आप यह कल्पना भी कर सकते थे कि हमारे पास कभी इतनी सारी गाड़ियां इतने सारे फोन और हम मंगल ग्रह तक पहुंच जाएंगे यह सब तो उस विज्ञान की ही देन है बिना विज्ञान के यह सब कर पाना मुश्किल था।   मैं यह नहीं कहता कि धर्म बुरा है या विज्ञान बुरा है दोनों एक दूसरे के पूरक हैं धर्म लोगों में विश्वास पैदा करता है तो विज्ञान लोगों में से अंधविश्वास को दूर करता है यानी दोनों एक ही कार्य करते हैं तो फिर यह दोनों अलग कैसे हुए विज्ञान का साक्ष्य होता है और धर्म का विश्वास अगर हम दोनों की कमियों की बात करें तो धर्म कभी-कभार अंधविश्वास को बढ़ावा भी दे देता है और अगर हम विज्ञान की बात करें तो यह ज्ञान कभी-कभार ऐसी चीजों का जन्म देता है जिससे शांति का माहौल पैदा हो जाता है विज्ञान की देन तो बंदूक परमाणु बम इत्यादि है विज्ञान की देन प्रदूषण भी है जोकि हमारी गाड़ियों से एसीओं से निकलता है।


निष्कर्ष :

 यह जरूरी नहीं की हमेशा विज्ञान ही सच साबित हो या धर्म साबित है कई बार ऐसा हुआ है की लोगों ने विज्ञान को भी अंधविश्वास मान लिया है।


विज्ञान से  मनुष्य नए नए चीज़ो का अविष्कार  तो कर  सकता है, परन्तु वह  अपनी  बुद्धि को नियंत्रित करने का साम‌र्थ्य हांसिल नहीं कर सकता है। मनुष्य की बुद्धि को नियंत्रित करने और उसे सही दिशा में प्रयुक्त करने की शक्ति तो धर्म ही प्रदान कर सकती है।

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