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एक नई शुरुआत -प्रियेश झा

  हां सच में, आज तक मैंने इतनी बातें किसी से भी नहीं की, अगर मैंने तुमसे कभी कुछ गलत कहा हो, तो बता देना मुझे, और मेरी इस गलती को तुम नजर अंदाज़ भी ना करना , मगर याद भी ना करना तुम मेरी इन बातों को, अगर तुम्हे कुछ याद ही रखना है, तो तुम मुझे याद रखना, और भूल जाना मेरी हर नादानियों को, मेरी हर शैतानियों को, मगर देखना तुम कभी भी मुझसे बात करना न छोड़ देना, आखिर मैंने नहीं मेरी किस्मत ने ढूंढा है तुम्हें, देखो न !  कितनी मिलती जुलती सी है, अपनी हर बातें, शहर से लेकर गांव तक घर से लेकर अपने ऑफिस वाले गुड़गांव तक मगर शायद आज मेरी ये सारी बातें पहुंच जाए बस तुम तक...