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Karna – Hero or Villain / कर्ण का चरित्र-चित्रण एवं ''कर्ण'' का परिचय

Karna – Hero or Villain / कर्ण का चरित्र-चित्रण एवं ''कर्ण'' का परिचय।  क्या कर्ण अहंकारी था ? अगर हम महाभारत के सन्दर्भ में बात करे तो कही भी ऐसा  लगता नहीं है कि कर्ण अहंकारी थे,कर्ण शालीन स्वभाव के थे, वे दानवीर थे उन्हें अपनी शक्ति पर पूर्ण विश्वास था इसका यह मतलब नहीं कि वह अहंकारी थे, उन्होंने कभी भी युद्ध में छल का सहारा नहीं लिया, उन्होंने अपना मित्र  धर्म निभाया, आखिर साथ भी तो उनका दुर्योधन ने ही दिया था, इस हालात में आप रहते तो क्या करते सच्चा मित्र तो वही  जो अपने मित्र का अंतिम छण  तक साथ दे इसीलिए इसमें कारण का क्या दोष, उन्होंने कभी किसी निहथे पे तो वार नहीं किया वह तो हमेशा चाहते थे की युद्ध नैतिकता से लडी  जाये। कारण के पास तो न जाने कितनी ही बार ऐसा मौका आया की वो अर्जुन का वध कर सकते  थे  लेकिन उन्होंने  इसे क्षत्रिय धर्म  के विरुद्ध करार दे दिया।   सूर्य पुत्र कर्ण अपने रथ का पहियाँ निकालते हुए।   छल का सहारा न लेना।   उन्होंने युद्ध में कभी भी  छल का सहारा नहीं लिया। ये बात कुछ और थी की अर्जुन ने भगवान् कृष्ण की सलाह म

भगवान् शिव कौन हैं ?, भगवान् शिव का स्वरुप कैसा है ? / Bhagwaan Shiv kaun hai ? Bhagwaan Shiv Ka Swaroop Kaisa hai?

  शिव की पूजा का महत्व, शिव कौन है ?, भगवान्   शिव को शम्भू क्यों कहा जाता है ? भगवान् शिव जब किसी जीव का  संहार करते हैं, तो वह  महाकाल बन जाते हैं, यही शिव महामृत्युंजय बनकर  उस प्राणी  का  रक्षा भी करते हैं, तो शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं, रूद्र बनकर महाविनाश लीला भी करते हैं, तो आशुतोष बनकर हर किसी की मनोरथ पूरी करते है और तो और  नीलकंठ बन कर विष पी जाते है ताकि सृष्टि बचीं रह, स्वयं शिव ही ब्रह्मा और विष्णु के रूप में एक हो  कर देवो के देव महादेव बन जाते हैं।  भगवान शिव को शम्भू क्यों कहा जाता है ? भगवान शिव को शंभू इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह स्वयं-भू है अर्थात उनके जन्म का कोई प्रमाण ही  नहीं है वे तो निर्जन्म है.  भगवान् शिव का निराकार स्वरुप  भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? भगवान शिव अनंत अविनाशी है, जिनका ना तो कोई आरंभ है और ना ही कोई अंत है, भगवान् शिव वह हैं जो काल के बंधन से मुक्त हैं ,जन्म और मृत्यु उनसे है ,आप खुद ही सोचिए जो खुद ही सृष्टि के संहारक हैं,भला उनका जन्म और मृत्यु कैसे हो सकता है जिनके द्वारा यह सारी सृष्टि बनाई गई

धर्म और विज्ञान / Dharm aur Vigyan

धर्म और विज्ञान में कौन प्रबल है ? धर्म  और विज्ञान में कौन प्रबल है, इस जवाब का उत्तर  देने से पहले हमे इन दोनों के बारे में गहराई से जानना होगा की धर्म क्या है और विज्ञान क्या है तभी हम किसी निष्कर्ष पर पहुँच सकेंगे । धर्म क्या है?  अगर हम धर्म की बात करें तो यह एक ऐसी चीज है जो लोगों में सत्य अहिंसा सत मार्ग संस्कार आदि मार्ग पर चलने को प्रेरित करती है, ये लोगो के लिए मनोबल बढ़ाने  का काम करती है लोगो का  आत्मविश्वास  बढ़ाने में सहायक है जिससे  की हर एक आदमी यह सोचता है की शायद कल उसकी किस्मत खुल जाएगी और ये बात उसको हिम्मत नहीं हारने देती है, और वो आत्महत्या जैसी चीज़ो से  भच जाता है क्यूंकि उसे लगता है की भगवान् कल उसके साथ कुछ अच्छा करेंगे और इसी भरोसे वो अपनी जिंदगी काट लेता है।  इसके अलावा हम धर्म के दूसरे पहलु की बात करे तो ये अन्धविश्वास को भी कुछ हद तक बढ़ावा भी देती हैं। जो हमे अहिंसा के मार्ग पर चलना सिखाये वही  धर्म है। विज्ञान क्या है ? अगर हम विज्ञान की बात करे तो  विज्ञान एक  ऐसी चीज है जो जो हमें अंधविश्वास जैसी चीजों से बचाती है क्या बिना विज्ञान के  आप