सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

Diwali / Deepavali ,Lakshmi Puja Subh Puja Muhurat -2019 / दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।

Diwali / Deepavali 2019,Lakshmi Puja Subh Puja Muhurat  / दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।  

दिवाली भारत के सबसे ज्यादा मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक है, यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश के जीत का प्रतीक है भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं।

दिवाली को  सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि सिख, बौद्ध तथा जैन धर्म के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे महावीर के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं तथा सिख समुदाय इसे बन्दी छोड़ दिवस के रूप में मनाता है।


diwali-shubh-puja-muhurat-2019
दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।  


ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे।अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। भगवान् श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब से आज तक भारतीय प्रति वर्ष यह प्रकाश-पर्व हर्ष व उल्लास से मनाते हैं।


यह पर्व प्रत्येक वर्ष अंग्रेजी महीने के अनुसार अक्टूबर या नवंबर के महीने में मनाया जाता  है। दीपावली दीपों का त्योहार है। दीपावली स्वच्छता व प्रकाश का पर्व है।

Diwali / Deepavali 2019,Lakshmi Puja Subh Puja Muhurat  / दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।  

Deepavali/Diwali celebrated on Sunday,October  27, 2019


२७  अक्टूबर , २०१९  रविवार  को दीपावली मनाया जायेगा। 


लक्ष्मी पूजा मुहूर्त - संध्या  06:42 से रात्रि  08:12 तक।  
अवधि - 01 घंटा 30 मिनट। 

निशित काल मुहूर्त- प्रातः 11:39 से दिन 12:31 तक, 28 अक्टूबर। 
अवधि - 00 घंटे 52 मिनट। 

प्रदोष काल - प्रातः 05:36 से प्रातः 08:12 तक
वृष काल - प्रातः 06:42 से प्रातः 08:37 तक
अमावस्या तीथि आरम्भ - 27 अक्टूबर 2019 को दोपहर 12:23 बजे से।  
अमावस्या तीथि समाप्त - 09:08 पूर्वाह्न 28 अक्टूबर, 2019  तक।  



दिवाली लक्ष्मी पूजा के लिए शुभ चौघड़िया मुहूर्त।  
दोपहर मुहूर्त (शुभ) - दोपहर 01:28 से दोपहर 02:51 तक, 27 अक्टूबर।  
संध्या  मुहूर्त (शुभा, अमृता, चर) - 05:36 अपराह्न से 10:28 बजे,27 अक्टूबर।   
रात्रि मुहूर्त (लभ) - दोपहर 01:42 से 03:19 बजे, 28 अक्टूबर। 
प्रातःकालीन मुहूर्त (शुभ) - प्रातः 04:57 से प्रातः 06:34 तक, 28 अक्टूबर। 



टिप्पणियाँ

इस ब्लॉग से लोकप्रिय पोस्ट

भगवान् शिव कौन हैं ?, भगवान् शिव का स्वरुप कैसा है ? / Bhagwaan Shiv kaun hai ? Bhagwaan Shiv Ka Swaroop Kaisa hai?

  शिव की पूजा का महत्व, शिव कौन है ?, भगवान्   शिव को शम्भू क्यों कहा जाता है ? भगवान् शिव जब किसी जीव का  संहार करते हैं, तो वह  महाकाल बन जाते हैं, यही शिव महामृत्युंजय बनकर  उस प्राणी  का  रक्षा भी करते हैं, तो शंकर बनकर जीव का भरण-पोषण भी करते हैं, रूद्र बनकर महाविनाश लीला भी करते हैं, तो आशुतोष बनकर हर किसी की मनोरथ पूरी करते है और तो और  नीलकंठ बन कर विष पी जाते है ताकि सृष्टि बचीं रह, स्वयं शिव ही ब्रह्मा और विष्णु के रूप में एक हो  कर देवो के देव महादेव बन जाते हैं।  भगवान शिव को शम्भू क्यों कहा जाता है ? भगवान शिव को शंभू इसलिए कहा जाता है क्योंकि वह स्वयं-भू है अर्थात उनके जन्म का कोई प्रमाण ही  नहीं है वे तो निर्जन्म है.  भगवान् शिव का निराकार स्वरुप  भगवान शिव की उत्पत्ति कैसे हुई ? भगवान शिव अनंत अविनाशी है, जिनका ना तो कोई आरंभ है और ना ही कोई अंत है, भगवान् शिव वह हैं जो काल के बंधन से मुक्त हैं ,जन्म और मृत्यु उनसे है ,आप खुद ही सोचिए जो खुद ही सृष्टि के संहारक हैं,भला उनका जन्म और मृत्यु कैसे हो सकता है जिनके द्वारा यह सारी सृष्टि बनाई गई

Ganesh Chaturthi 2022 Chauth Chandra or Chaurchan Puja / गणेश चतुर्थी एवं चौरचन पर्व

Ganesh Chaturthi 2022 Chauth Chandra or Chaurchan Puja  / गणेश चतुर्थी  एवं चौरचन पर्व  गणेश  चतुर्थी को भगवान गणेश की जयंती के रूप में मनाया जाता है। गणेश चतुर्थी पर, भगवान गणेश को ज्ञान, समृद्धि और सौभाग्य के देवता के रूप में पूजा जाता है। ऐसा माना जाता है कि भगवान गणेश का जन्म भाद्रपद मास  के शुक्ल पक्ष के समय  हुआ था। वर्तमान में गणेश चतुर्थी का यह पर्व अंग्रेजी कैलेंडर के अनुसार  अगस्त या सितंबर के महीने में मनाया जाता  है।  भगवान् श्री गणेश।   गणेश चतुर्थी  हिन्दुओं का एक प्रमुख त्यौहार है। यह त्यौहार भारत के विभिन्न भागों में मनाया जाता है यह महाराष्ट्र का मुख्य पर्व भी  है। पुराणों के अनुसार इसी दिन भगवान् श्री गणेश जी का जन्म हुआ था।गणेश चतुर्थी पर हिन्दू भगवान गणेशजी की पूजा करते  है। भगवान् गणेश जी का मंत्र :- वक्रतुण्ड महाकाय सूर्यकोटि समप्रभ। निर्विघ्नं कुरु मे देव सर्वकार्येषु सर्वदा॥ Chauth Chandra or Chaurchan Puja/   चौरचन पर्व                                                   चौरचन पूजा।     मिथिला क्षेत्र  में लोग इस दिन को 

Most Haunted Places in Delhi/दिल्ली की बेहद डरावनी जगहें।

Most Haunted Places in Delhi/दिल्ली की  बेहद डरावनी जगहें।  अगर आप दिल्ली में  रहते है और किसी हॉन्टेड़ जगहों  पर जाना  चाहते है लेकिन आपके पास इतना पर्याप्त  समय नहीं है की आप भानगढ़ जैसी जगहों पर जा सके , तो सोचिये मत क्यूंकि आपकी अपनी दिल्ली में भी बहुत सी  ऐसी जगह है जहा पर जाकर आपको बिलकुल ऐसा ही अनुभव होगा जैसा की किसी और ड़रावनी  जगहों पर अक्सर होता है।  अब आप यही सोच रहे होंगे की दिल्ली जैसे भीड़ भर वाले शहर  में ऐसी कोन सी डरावनी जगह है ?, भारत की राजधानी नई दिल्ली अपने आप में बेहद खास और खगूबसूरत है , और इसे  खास बनता है इसका पुराण इतिहास , अब देर न करते हुए चलते है आपके साथ उन्ही डरावनी जगहों पर।  १. खुनी नदी Khooni Nadi, Rohini खूनी नदी दिल्ली के रोहिणी इलाके में स्थित है। लोग ऐसा मानते है की जब कोई व्यक्ति इस नदी के आस पास या फिर नदी में जाता है तो ये नदी उसे अपनी तरफ खींच लेती है या फिर यूँ कहे की उसे अपनी रहस्यमयी शक्तियों से लील (निगल) लेती है। कई लोगों का ये कहना है की बहुत से लोगो ने  अपनी जान कुछ इसी तरह से ही गावं दी है । और जब लोग बाद में  देख