Hastsal Minar- An Unseen Qutub Minar of Delhi /दिल्ली का अनदेखा क़ुतुब मीनार - हस्तसाल मीनार।
क़ुतुब मीनार (बाएं ) एवं हस्तसाल मीनार (दाए ) |
अगर हम आपसे ये कहें की दिल्ली में एक नहीं बल्कि दो क़ुतुब मीनार है , तो एक मिनट के लिए आप चकित रह जायेंगे। लेकिन जो हम कह रहे है वो बिलकुल सच है। ये कोई अफवाह नहीं है । वर्तमान में कोन नहीं जानता इस विश्व प्रसिद्ध क़ुतुब मीनार (बाएं) को जिसे यूनेस्को द्वारा विश्व धरोहर में शामिल किया गया है। लेकिन इसी दिल्ली में ऐसा ही एक मीनार जो की वर्षो से अनदेखी का शिकार होता हुआ आया है। दिल्ली की पहचान बन चूका यह क़ुतुब मीनार (बाएं) जहाँ हर साल लगभग हज़ारों और लाखो की संख्या में देशी- विदेशी पर्यटक इसका दीदार करने आते हैं, जिनमे से कुछ इसकी खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करके रखना चाहते है , तो इसी दिल्ली दूसरी और यह मीनार जो अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रही है , एक इतिहास जो अब ख़त्म होने पे आ चुकी है जिसके बारे में बहुत कम ही लोग जान सके है। हैरानी की बात तो यह है की देश की राजधानी में होते हुए भी इसकी ये दुर्दशा है।
पश्चिमी दिल्ली के उत्तम नगर (हस्तसाल गांव) इलाके में एक मीनार है,जिसकी संरचना हु-बहु क़ुतुब मीनार से मिलती है। वैसे तो ये मीनार इस गांव की शान और पहचान बन चुकी है। लकिन इस मीनार से दिल्ली के लोग कम ही परिचित होंगे। इस मीनार को हस्तसाल मीनार के नाम से जाना जाता है। मीनार की ऊंचाई लगभग 17 मीटर के आस पास है। हालांकि देखरेख की कमी की वजह से यह मीनार अपनी बदहाली में जी रही है। न ही यहां कोई मीनार से संबंधित जानकारी देने के लिए किसी भी तरह का साइन बोर्ड नहीं लगाया गया हैं। ऐसे में मीनार अपनी कहानी खुद ही बयान कर रही है।
मीनार का मेन गेट का दरवाजा हमेशा खुला रहता है। ऐसे में जब भी कोई चाहे मीनार को आकर देख सकता है। मीनार तक पहुंचने के लिए बनाई गई सीढ़िया कई साल पहले टूट चुकी हैं। ऐसे में टूटी हुई सीढ़ियों के हिस्सों को जमा कर के यहां पर रख दिया गया है।
आस पास का अतिक्रमण
हस्तसाल मीनार काफी पुरानी है ,मीनार के आस-पास अतिक्रमण काफी हद तक बढ़ गया है, जिसकी वजह से यह मीनार अपनी पहचान खोती जा रही है। अब तो ऊँची ऊँची बिल्डिंगो के बीच इस मीनार को ढूंढ पाना भी मुश्किल हो चूका है , और यु कहे तो इसे अब दूर से देख पाना भी दुर्लभ हो चूका है।
आसपास के अतिक्रमण को दर्शाती ये तस्वीर। |
हस्तसाल मीनार का इतिहास
ऐसा मन जाता है की हस्तसाल का नामकरण हाथीयों के स्थान के तौर पर हुआ यहाँ पर हाथियों का विश्राम स्थल हुआ करता था।
हस्तसाल मीनार को मुगल बादशाह शाहजहां ने लगभग 17वीं शताब्दी में बनवाया था। इस पांच मंजिला इमारत में आज आपको केवल तीन मंजिल ही देखने को मिलेंगी। अगर जल्द ही इस ऐतिहासिक धरोहर पर सरकार ने ध्यान नहीं दिया गया तो ये संख्या और भी कम हो सकती है, इस मीनार को बनाने के लिए लाल बलुआ पत्थर और ईंट लगी हैं। इस मीनार में एक पतली सीढ़ी है, जो ऊपर तक जाती है। इस मीनार में एक सुरंग भी है, जो बरादरी से जुड़ती है। शाहजहां ने बरादरी का निर्माण मनोरंजन के लिए करवाया था। इस मीनार से कुछ ही दुरी पर दो मंजिला इमारत भी है जिसे शाहजहाँ ने अपने शिकारगाह के तोर पर बनाया था।
हस्तसाल मीनार का सुन्दर दृश्य। |
बचाने की कोशिश :-
यहाँ के लोग बताते है की न जाने उन्होंने इस मीनार को बचाने के लिए कितनी कोशीश की लेकिन सारी कोशिशे विफल हुई। लोगो का ये कहना है अभी तक किसी भी सरकार और विभाग ने इस ऐतिहासिक धरोहर पर ध्यान ही नहीं दिया है, जिसके परिणामस्वरूप आज इसकी ये दुर्दशा है।
देखने कैसे आए :-
ये मीनार हस्तसाल गांव में स्थित है । हस्तसाल आने के लिए आप उत्तम नगर बस टर्मिनल एवं उत्तम नगर मेट्रो स्टेशन से नियमित अंतराल पर ऑटो रिक्शा एवं ई - रिक्शा के माध्यम से आप इस मीनार तक पहंच सकते है। उत्तम नगर से इस मीनार की दुरी लगभग २.५ किलोमीटर होगी।
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