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अनंत चतुर्दशी 2020 तारीख व पूजा मुहूर्त / 2020 Anant Chaturdashi date

अनंत चतुर्दशी 2020 तारीख व पूजा मुहूर्त /  2020 Anant Chaturdashi   date   अनंत चतुर्दशी व्रत हिंदू धर्म में ख़ास महत्व रखता है। इस त्योहार को अनंत चौदस के नाम से भी जाना जाता है। यह दिन भगवान विष्णु के कई अवतारों का स्मरण कराता है। भगवान् विष्णु।   इस दिन अनन्त भगवान अर्थात वो प्रभु जो  अनंत हो, उनकी पूजा की जाती है और  भगवान् के आशीर्वाद  स्वरुप संकटों से रक्षा करने वाला अनन्त सूत्र बांधा जाता है। कहा जाता है कि जब पाण्डव जुए में अपना सारा राज-पाट हारकर वन में कष्ट भोग रहे थे, तब भगवान श्रीकृष्ण ने उन्हें अनन्त चतुर्दशी का व्रत करने की सलाह दी थी। धर्मराज युधिष्ठिर ने अपने भाइयों तथा द्रौपदीके साथ पूरे विधि-विधान से यह व्रत किया । अनन्तचतुर्दशी-व्रतके प्रभाव से पाण्डव सब संकटों से मुक्त हो गए। अनंत चतुर्दशी का यह अनुपम पर्व हिंदू कैलेंडर में भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष के 14 वें दिन आता है,  अनंत चतुर्दशी पर, भगवान विष्णु को श्रद्धांजलि देने के बाद, उनकी बांह पर एक धागा बांधा जाता है। यह धागा या तो एक रेशम का धागा या कपास का भी  हो सकता है ।  इसी

Jitiya or Jivitputrika Vrat 2020 / जिवितपुत्रिका व्रत एवं जितिया पर्व।

Jitiya or Jivitputrika Vrat 2020 / जिवितपुत्रिका व्रत एवं जितिया पर्व।   जिवितपुत्रिका व्रत एक महत्वपूर्ण उपवास दिवस है, जिसमें माताएँ अपने बच्चों की भलाई के लिए दिन और रात भर निर्जला उपवास करती हैं। इस पर्व  को  अधिकतर लोग जितिया पर्व के नाम से भी जानते है। Jitiya or Jivitputrika Vrat 2020 हिन्दू चंद्र कैलेंडर के अनुसार आश्विन मास  में कृष्ण पक्ष अष्टमी को जिवितपुत्रिका व्रत मनाया जाता है। यह उपवास मुख्य रूप से भारतीय राज्यों बिहार, झारखंड और उत्तर प्रदेश में मनाया जाता है। इसके के साथ यह त्यौहार नेपाल में भी लोकप्रिय है। 10 सितंबर, 2020 वीरवार को जिवितपुत्रिका व्रत एवं जितिया पर्व मनाया जायेगा। अष्टमी तिथि शुरू होती है - 02:05 AM 10 सितंबर, 2020को अष्टमी तिथि समाप्त हो रही है - 03:34 AM 11 सितंबर, 2020को

Krishna Janmashtami 2020 - Janmashtami Festival Date and Shubh Muhurat/ जन्माष्टमी दिन एवं शुभ महूरत २०२०

Krishna Janmashtami 2020 - Janmashtami Festival Date and Shubh Muhurat/ जन्माष्टमी दिन एवं शुभ मुहूर्त २०२०  ,  पौराणिक कथा के अनुसार, भगवान् विष्णु के आठवें अवतार श्री कृष्ण  ने अपने जीवन के हर हिस्से को  यादगार बना दिया। चाहे  अपने बाल समय में चंचल शवभाव से अपने भक्तो का मन मोह लेना हो या फिर अपने बासुंरी के धुन से गोपिओ का।   राधा  जिन्हे अपने प्रेम से अमर कर देना हो।  चाहे एक दयालू राजा बन कर गरीबो की मदद करना हो, या फिर  सुदामा से अपनी दोस्ती निभानी हो,चाहे युद्ध में अर्जुन का साथ देना हो  चाहे गीता का उपदेश देके लोगों को धर्म के बारे में समझाना हो। भगवान् श्री कृष्णा।  और भी बहुत से ऐसे कार्य किये उन्होंने अपने अपने जीवन में।  आज सनातन धर्म मानने  वाले भक्त  अपने प्रभु कृष्ण का जन्म दिन मनाते  हैं जन्माष्टमी के रूप में।  इस शुभ अवसर पर भक्त अपने भगवान् के लिए उपवास रखते है, भगवान् से आशीर्वाद पाने के लिए।  यह भारत के प्रमुख हिन्दू त्योहारों में से एक है। भगवाम कृष्णा का जन्म कब हुआ ? जन्माष्टमी  भगवान कृष्ण के जन्म की तारीख है , ये वही पावन  दिन है जिस द

Sawan Shivratri 2020/ कब है शिवरात्रि?

Sawan Shivratri 2020: जानें इस बार  कब है शिवरात्रि यह पवित्र श्रावण मास  चल रहा है। इस मास  में होने वाली शिवरात्रि को शुभ फलदायी माना जाता है। इस बार शिवरात्रि 19   जुलाई 2020 ,रविवार के दिन मनाई जाएगी,  शिवरात्रि के दिन शिव भक्त  भगवान् शंकर का जलाभिषेक कर सुख-समृद्धि  की कामना करते हैं। शास्त्रों के अनुसार श्रावण मास   के  शिवरात्रि पर  भगवान शिव को  जल चढ़ाने से भगवान् भोलेनाथ प्रसन्न होकर अपने भक्तों की सभी मनोकामनाओ को  पूर्ण करते हैं। इस    दिन लोग भोलेनाथ को उनकी प्रिय वस्तु बेलपत्र , धतुरा भी चढ़ाते हैं । जिससे उनके जीवन में आने वाले सभी कष्ट समाप्त हो जाए।  साथ ही इस  शिवरात्रि के साथ ही कई अनेक  त्योहारों की शुरुआत भी हो जाती है। भगवान् महादेव  महादेव को प्रसन्न करने के लिए  शिवरात्रि का पावन पर्व इस वर्ष  19 जुलाई 2020  को मनाया जाएगा।  चतुर्दशी तिथि आरंभ- 19 जुलाई 2020, प्रातः12: 41 से  चतुर्दशी तिथि समाप्त- 20 जुलाई 2020, प्रात 12: 10 तक

Dhanteras 2019 : कब है धनतेरस और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त?

Dhanteras 2019 : कब है धनतेरस और क्या है पूजा का शुभ मुहूर्त? धनतेरस का त्यौहार भारत में बड़े ही हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है , ऐसा माना जाता है की इसी दिन भगवान् धन्वन्तरि की उत्पत्ति  समुन्द्र मंथन द्वारा हुई थी।  भगवान् धन्वन्तरि को आयुर्वेद का जन्मदाता कहा जाता है।   यही वजह है की  धनतेरस को धन्वन्तरि जयंती के रूप में मनाया  जाता है।   Dhanteras 2019 इस दिन लोग नए बर्तन खरीदते है विशेषकर पीतल और चांदी  के बर्तन खरीदना शुभ मन गया है , क्यूंकि पीतल महर्षि धन्वन्तरि का धातु है।  इस दिन धन के देवता कुबेर और यमदेव की पूजा का भी विशेष महत्व है।  यह त्यौहार दिवाली के पांच त्योहारों में शामिल है।  दीपोत्सव की शुरुवात भी धनतेरस से ही होती है।   25 अक्टूबर 2019 शुक्रवार को धनतेरस पूजा।   धनतेरस पूजा मुहूर्त - प्रातः 07:08 से प्रातः 08:13 तक अवधि - 01 घंटा 05 मिनट प्रदोष काल - प्रातः 05:38 से प्रातः 08:13 तक वृष काल - प्रातः 06:50 से प्रातः 08:45 तक त्रयोदशी तीथि आरम्भ: - 07:08 अपराह्न 25 अक्टूबर 2019 से  त्रयोदशी तिथि समाप्त: - 03:46 PM 26 अक्टूबर 2019 तक।  

Diwali / Deepavali ,Lakshmi Puja Subh Puja Muhurat -2019 / दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।

Diwali / Deepavali 2019,Lakshmi Puja Subh  Puja  Muhurat  / दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।   दिवाली भारत के सबसे ज्यादा मनाये जाने वाले त्योहारों में से एक है, यह त्यौहार अंधकार पर प्रकाश के जीत का प्रतीक है  भारतवर्ष में मनाए जाने वाले सभी त्यौहारों में दीपावली का सामाजिक और धार्मिक दोनों दृष्टि से अत्यधिक महत्त्व है। इसे दीपोत्सव भी कहते हैं। दिवाली को   सिर्फ हिन्दू ही नहीं बल्कि  सिख ,   बौद्ध   तथा   जैन धर्म   के लोग भी मनाते हैं। जैन धर्म के लोग इसे   महावीर   के मोक्ष दिवस के रूप में मनाते हैं   तथा सिख समुदाय इसे   बन्दी छोड़ दिवस   के रूप में मनाता है। दिवाली, दीपावली, लक्ष्मी पूजा शुभ पूजा मुहूर्त-२०१९ ।   ऐसा माना जाता है कि दीपावली के दिन अयोध्या के राजा राम अपने चौदह वर्ष के वनवास के पश्चात अयोध्या वापस लौटे थे।अयोध्यावासियों का ह्रदय अपने परम प्रिय राजा के आगमन से प्रफुल्लित हो उठा था। भगवान् श्री राम के स्वागत में अयोध्यावासियों ने घी के दीपक जलाए। कार्तिक मास की सघन काली अमावस्या की वह रात्रि दीयों की रोशनी से जगमगा उठी। तब स

Sharad Poornima 2019, Kojagri poornima, Kojagra 2019 / शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कोजगरा।

Sharad Poornima, Kojagri poornima, Kojagra 2019 / शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कोजगरा।    एक वर्ष में कुल १२ पूर्णिमाएं आती है जिसमे शरद पूर्णिमा कक अपना एक ख़ास महत्व होता है, शरद पूर्णिमा के दिन भगवान चंद्र की पूजा करना बहुत महत्वपूर्ण माना जाता है। शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कोजगरा कई क्षेत्रों में शरद पूर्णिमा को कोजागरा पूर्णिमा के रूप में जाना जाता है जब कोजागरा व्रत पूरे दिन मनाया जाता है। कोजागरा व्रत को कौमुदी व्रत (कौमुदी व्रत) के नाम से भी जाना जाता है। बिहार के मिथिला क्षेत्र में यह पर्व  किसी महा उत्सव से कम नहीं है। यह पर्व मिथिला को उसकी खास पहचान  दिलाता है। इसे यहां कोजगरा के नाम से जाना जाता है।  गुजरात में शरद पूर्णिमा को शरद पूनम के नाम से अधिक जाना जाता है। Sharad Poornima, Kojagri poornima, Kojagra 2019 / शरद पूर्णिमा, कोजागरी पूर्णिमा, कोजगरा।    शरद पूर्णिमा :-  रविवार, 13 अक्टूबर 2019 को  शरद पूर्णिमा के दिन चन्द्रोदय - प्रातः 05:56 पूर्णिमा आरम्भ  - 12:36 AM 13 अक्टूबर 2019 से  पूर्णिमा समाप्त - 14 अक्टूबर 2019 प्रातः 02:38 बज